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माया मोह Worldly Desires||AllBestNews||

धन की कितनी गतियाँ होती है? गुरु पद पंकज सेवा , तीसरी भगति अमान | चौथि भगति मम गुन गनय , करय कपट तजि गान || कहा सूत सुनिए मुनि ज्ञानी | यहौ भेद मै कहौ बखानी ||AllBestNews||

Wednesday, January 23, 2019

/ by All Best News
Worldly Desires
माया मोह Worldly Desires 

गुरु पद पंकज सेवा , तीसरी भगति अमान |
चौथि भगति मम गुन गनय , करय कपट तजि गान ||
कहा सूत सुनिए मुनि ज्ञानी | यहौ भेद मै कहौ बखानी ||

माया
           मान,सम्मान,अपमान  
                             एक बार यमराज प्रवीना |
मोह
           राग,अनुराग,वैराग
                           आपन दूत बोलि सिख दीना ||

मैं और मोर तोर ,तह माया , जेहि बस कीन्हें ,जीव निकाया

संसार में जो पाप करते हुए विचरते है – वह पापा चारी कहा जाता है/
और जो सुभ कर्मो को करते हुए विचरते है – वह शुभा चारी कहा जाता है
इसी तरह जो कामनाओ के द्वारा इंद्रिय सुख में परायण मनुष्य – वह कामा चारी है/
और इंद्रिय संयम में प्रब्रात्त रहने वाला पुरुष – ब्रह्म चारी कहलाता है/
जो  ब्रह्म स्वरुप होकर संसार में विचरण करता है – वही मुख्य ब्रह्मचारी है/

दोहा: सहज सुह्रद गुर स्वामी सिख , जो न करइ सिर मानि |
          सो पछिताई अघाई उर , अवसि होई हित हानि ||

सुर (देवता)

सुर: धन के आदि थे
नर: धर्म में आदि थे
संत (मुनि): तपस्या के अदि थे, संत (मुनि) की कोई इच्छा नहीं होती, बगैर इच्छा के सब कुछ मिलता है, इसीलिए किसी ने कहा है –

द्रस्तंत: बिन मागे मोती मिलय , मागे मिलय न बीख |

सुर नर मुनि सबकी यह रीती , स्वराथ लागि , करय सब प्रीती |

जेहिकर मन रमजाये सम , तेहि तेही सम काम |

पूर्व में त्याग तपस्या से शक्तिया मिलती थी/आज हर शक्ति धन दौलत पर डिपेंट (निर्भर) रहती है, देश हो, या विदेश में, हर शक्ति को पाने के लिए, आज वर्तमान में, धन दौलत की आवश्यकता पड़ती है, लेकिन पूर्व में तपस्या की आवश्यकता पड़ती थी/इसीलिए कहा गया था –

चौo: तप आधार सब श्रेष्टी भवानी | करी जाय (तप) अस जिय जानी ||  
Worldly Desires
असुर(दानव)

दानव शक्तिया पाते ही उतरा जाते थे , उन सक्ति (धन) का दुरुपियोग करते थे , इसीलिए उनके सही समय पर शक्ति काम नहीं आती थी/

चौo: छूद्र नदी भर चली तोरई | जस थोरेहि धन खल इतराई ||   

आज की शक्तिया माया में समायी हुई है , माया पाने पर सक्ति सम्पत्ति का अभिमान हो जाता है/ जब की ऐसा नहीं होना चाहिए , अपने पुरखो की त्याग तपस्या से,(धन दौलत) जो आप वरदान के रूप में पाए है , उस पर अभिमान न करे (उस धन दौलत) को सही वा अच्छे कामो में उपयोग करे-

धन की कितनी गतियाँ होती है?

धन की तीन गतियाँ होती है-
1 उत्तम (दान धर्म)
2 माद्यम - भोग
3 निम्न नास

Writed By(Ram Shankar)

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